हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस रिवायत को "दवात ए रावन्दी" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
يَعيشُ النّاسُ بِاِحْسانِهِمْ اَكْثَرَ مِمّا يَعيشونَ بِاَعْمارِهِمْ وَ يَموتون بِذُنوبِهِمْ اَكْثَرَ مِمّا يَموتونَ بِآجالِهِمْ
हज़रत इमाम जफार सादीक अ.स.ने फरमाया:
लोग अपने अच्छे कर्मों के कारण अपनी आयु से अधिक समय तक जीवित रहते हैं और अपनी शारीरिक मृत्यु से अधिक अपने पापों के कारण मर जाते हैं यानी लोग नेकी और एहसान के सबब ज़्यादा उम्र पाते हैं और गुनाहों की वजह से जल्दी मर जाते हैं।
दवात ए रावन्दी,पेंज 291,हदीस 33